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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

चाहिअ कीन्हि भरत पहुनाई। कंद मूल फल आनहु जाई। भलेहिं नाथ कहि तिन्ह सिर नाए। प्रमुदित निज निज काज सिधाए॥3॥

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चौपाई

चाहिअ कीन्हि भरत पहुनाई। कंद मूल फल आनहु जाई।
भलेहिं नाथ कहि तिन्ह सिर नाए। प्रमुदित निज निज काज सिधाए॥3॥

भावार्थ:

(और कहा कि) भरत की पहुनाई करनी चाहिए। जाकर कंद, मूल और फल लाओ। उन्होंने ‘हे नाथ! बहुत अच्छा’ कहकर सिर नवाया और तब वे बड़े आनंदित होकर अपने-अपने काम को चल दिए॥3॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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