जद्यपि लघुता राम कहुँ तोहि बधें बड़ दोष। तदपि कठिन दसकंठ सुनु छत्र जाति कर रोष॥23 घ॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
षष्ठः सोपानः | Descent 6th
श्री लंकाकाण्ड | Shri Lanka Kand
दोहा :
जद्यपि लघुता राम कहुँ तोहि बधें बड़ दोष।
तदपि कठिन दसकंठ सुनु छत्र जाति कर रोष॥23 घ॥
भावार्थ:
यद्यपि तुम्हें मारने में श्री रामजी की लघुता है और बड़ा दोष भी है तथापि हे रावण! सुनो, क्षत्रिय जाति का क्रोध बड़ा कठिन होता है॥23 (घ)॥
English :
IAST :
Meaning :