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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

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जाइ न बरनि मनोहरताई। जनु महि करति जनक पहुनाई॥ तब सब लोग नहाइ नहाई। राम जनक मुनि आयसु पाई॥3॥ देखि देखि तरुबर अनुरागे। जहँ तहँ पुरजन उतरन लागे॥ दल फल मूल कंद बिधि नाना। पावन सुंदर सुधा समाना॥4॥

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चौपाई

जाइ न बरनि मनोहरताई। जनु महि करति जनक पहुनाई॥
तब सब लोग नहाइ नहाई। राम जनक मुनि आयसु पाई॥3॥
देखि देखि तरुबर अनुरागे। जहँ तहँ पुरजन उतरन लागे॥
दल फल मूल कंद बिधि नाना। पावन सुंदर सुधा समाना॥4॥

भावार्थ:

वन की मनोहरता वर्णन नहीं की जा सकती, मानो पृथ्वी जनकजी की पहुनाई कर रही है। तब जनकपुर वासी सब लोग नहा-नहाकर श्री रामचन्द्रजी, जनकजी और मुनि की आज्ञा पाकर, सुंदर वृक्षों को देख-देखकर प्रेम में भरकर जहाँ-तहाँ उतरने लगे। पवित्र, सुंदर और अमृत के समान (स्वादिष्ट) अनेकों प्रकार के पत्ते, फल, मूल और कंद-॥3-4॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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