जागबलिक जो कथा सुहाई। भरद्वाज मुनिबरहि सुनाई॥ कहिहउँ सोइ संबाद बखानी। सुनहुँ सकल सज्जन सुखु मानी॥1॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 29.1| |Caupāī 29.1
जागबलिक जो कथा सुहाई। भरद्वाज मुनिबरहि सुनाई॥
कहिहउँ सोइ संबाद बखानी। सुनहुँ सकल सज्जन सुखु मानी॥1॥
भावार्थ:-मुनि याज्ञवल्क्यजी ने जो सुहावनी कथा मुनिश्रेष्ठ भरद्वाजजी को सुनाई थी, उसी संवाद को मैं बखानकर कहूँगा, सब सज्जन सुख का अनुभव करते हुए उसे सुनें॥1॥
jāgabalika jō kathā suhāī. bharadvāja munibarahi sunāī..
kahihauom sōi saṃbāda bakhānī. sunahuom sakala sajjana sukhu mānī..
The charming story which Yajnavalkya related to the good sage Bharadvaja, I shall repeat the same dialogue at length; let all good souls hear it with a feeling of delight.