जानि कृपाकर किंकर मोहू। सब मिलि करहु छाड़ि छल छोहू॥ निज बुधि बल भरोस मोहि नाहीं। तातें बिनय करउँ सब पाहीं॥7 (घ).2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 7(घ).2| Caupāī 7 (Gha).2
जानि कृपाकर किंकर मोहू।
सब मिलि करहु छाड़ि छल छोहू॥
निज बुधि बल भरोस मोहि नाहीं। तातें बिनय करउँ सब पाहीं॥2॥
भावार्थ:-मुझको अपना दास जानकर कृपा की खान आप सब लोग मिलकर छल छोड़कर कृपा कीजिए। मुझे अपने बुद्धि-बल का भरोसा नहीं है, इसीलिए मैं सबसे विनती करता हूँ॥2 ॥
jāni kṛpākara kiṃkara mōhū. saba mili karahu chāḍai chala chōhū..
nija budhi bala bharōsa mōhi nāhīṃ. tātēṃ binaya karauom saba pāhī..
Knowing me as your servant, be genuinely gracious to me all of you, O mines of compassion. I have no confidence in my intellectual power, hence I supplicate you all.