जुग सम नृपहि गए दिन तीनी। कपटी मुनि पद रह मति लीनी॥ समय जान उपरोहित आवा। नृपहि मते सब कहि समुझावा॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
जुग सम नृपहि गए दिन तीनी। कपटी मुनि पद रह मति लीनी॥
समय जान उपरोहित आवा। नृपहि मते सब कहि समुझावा॥4॥
भावार्थ:
राजा को तीन दिन युग के समान बीते। उसकी बुद्धि कपटी मुनि के चरणों में लगी रही। निश्चित समय जानकर पुरोहित (बना हुआ राक्षस) आया और राजा के साथ की हुई गुप्त सलाह के अनुसार (उसने अपने) सब विचार उसे समझाकर कह दिए॥4॥
English :
IAST :
Meaning :