जैसें जाइ मोह भ्रम भारी। करेहु सो जतनु बिबेक बिचारी॥ चलीं सती सिव आयसु पाई। करहिं बेचारु करौं का भाई॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 51.2 | Caupāī 51.2
जैसें जाइ मोह भ्रम भारी। करेहु सो जतनु बिबेक बिचारी॥
चलीं सती सिव आयसु पाई। करहिं बेचारु करौं का भाई॥2॥
भावार्थ:-जिस प्रकार तुम्हारा यह अज्ञानजनित भारी भ्रम दूर हो, (भली-भाँति) विवेक के द्वारा सोच-समझकर तुम वही करना। शिवजी की आज्ञा पाकर सती चलीं और मन में सोचने लगीं कि भाई! क्या करूँ (कैसे परीक्षा लूँ)?॥2॥
jaisēṃ jāi mōha bhrama bhārī. karēhu sō jatanu bibēka bicārī..
calīṃ satī siva āyasu pāī. karahiṃ bicāru karauṃ kā bhāī..
Using your critical judgment you should resort to some device whereby the stupendous error born of your ignorance may be rectified.” Thus obtaining leave of Siva, Sats proceeded on Her mission. She racked Her brains to find out what step She should take (in order to test the divinity of Rama).