जौं बालक कह तोतरि बाता। सुनहिं मुदित मन पितु अरु माता॥ हँसिहहिं कूर कुटिल कुबिचारी। जे पर दूषन भूषनधारी॥5॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 7(घ).5| Caupāī 7 (Gha).5
जौं बालक कह तोतरि बाता। सुनहिं मुदित मन पितु अरु माता॥
हँसिहहिं कूर कुटिल कुबिचारी। जे पर दूषन भूषनधारी॥5॥
भावार्थ:-जैसे बालक जब तोतले वचन बोलता है, तो उसके माता-पिता उन्हें प्रसन्न मन से सुनते हैं, किन्तु क्रूर, कुटिल और बुरे विचार वाले लोग जो दूसरों के दोषों को ही भूषण रूप से धारण किए रहते हैं (अर्थात् जिन्हें पराए दोष ही प्यारे लगते हैं), हँसेंगे॥5॥
jau bālaka kaha tōtari bātā. sunahiṃ mudita mana pitu aru mātā..
haomsihahi kūra kuṭila kubicārī. jē para dūṣana bhūṣanadhārī..
When a child prattles in lisping accents, the parents hear it with a mind full of delight. Those, however, who are hard-hearted, mischievous and perverse and cherish others’ faults as an ornament, will feel amused.