तव माया बस फिरउँ भुलाना। ता ते मैं नहिं प्रभु पहिचाना।।5।।
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
चतुर्थ: सोपान | Descent 4th
श्री किष्किंधाकांड | Shri kishkindha-Kand
चौपाई :
तव माया बस फिरउँ भुलाना।
ता ते मैं नहिं प्रभु पहिचाना।।5॥
भावार्थ:
मैं तो आपकी माया के वश भूला फिरता हूँ इसी से मैंने अपने स्वामी (आप) को नहीं पहचाना।।5॥
English :
IAST :
Meaning :