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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

तुम्ह समरूप ब्रह्म अबिनासी। सदा एकरस सहज उदासी॥ अकल अगुन अज अनघ अनामय। अजित अमोघसक्ति करुनामय॥3॥

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श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
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श्री लंकाकाण्ड | Shri Lanka Kand

चौपाई : 

तुम्ह समरूप ब्रह्म अबिनासी। सदा एकरस सहज उदासी॥
अकल अगुन अज अनघ अनामय। अजित अमोघसक्ति करुनामय॥3॥

भावार्थ:

आप समरूप, ब्रह्म, अविनाशी, नित्य, एकरस, स्वभाव से ही उदासीन (शत्रु-मित्र-भावरहित), अखंड, निर्गुण (मायिक गुणों से रहित), अजन्मे, निष्पाप, निर्विकार, अजेय, अमोघशक्ति (जिनकी शक्ति कभी व्यर्थ नहीं जाती) और दयामय हैं॥3॥

 

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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