दंड चारि महँ भा सबु पारा। उतरि भरत तब सबहि सँभारा॥5॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
चौपाई :
दंड चारि महँ भा सबु पारा। उतरि भरत तब सबहि सँभारा॥5॥
भावार्थ:
चार घड़ी में सब गंगाजी के पार उतर गए। तब भरतजी ने उतरकर सबको सँभाला॥5॥
English :
IAST :
Meaning :