दच्छ न कछु पूछी कुसलाता। सतिहि बिलोकी जरे सब गाता॥ सतीं जाइ देखेउ तब जागा। कतहूँ न दीख संभु कर भागा॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई (62.2) | Caupāī (62.2)
दच्छ न कछु पूछी कुसलाता। सतिहि बिलोकी जरे सब गाता॥
सतीं जाइ देखेउ तब जागा। कतहूँ न दीख संभु कर भागा॥2॥
भावार्थ:-दक्ष ने तो उनकी कुछ कुशल तक नहीं पूछी, सतीजी को देखकर उलटे उनके सारे अंग जल उठे। तब सती ने जाकर यज्ञ देखा तो वहाँ कहीं शिवजी का भाग दिखाई नहीं दिया॥2॥
daccha na kachu pūchī kusalātā. satihi bilōki jarē saba gātā..
satīṃ jāi dēkhēu taba jāgā. katahuom na dīkha saṃbhu kara bhāgā..
Daksa would not even inquire about Her health; he burnt all over with rage at the very sight of Sati. Sati then went to have a look at the sacrifice; but nowhere did She find any share of oblations set apart for Sambhu.