दुरबासा मोहि दीन्ही सापा। प्रभु पद पेखि मिटा सो पापा॥ सुनु गंधर्ब कहउँ मैं तोही। मोहि न सोहाइ ब्रह्मकुल द्रोही॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
तृतीय सोपान | Descent Third
श्री अरण्यकाण्ड | Shri Aranya-Kand
चौपाई :
दुरबासा मोहि दीन्ही सापा। प्रभु पद पेखि मिटा सो पापा॥
सुनु गंधर्ब कहउँ मैं तोही। मोहि न सोहाइ ब्रह्मकुल द्रोही॥4॥
भावार्थ:
(वह बोला-) दुर्वासाजी ने मुझे शाप दिया था। अब प्रभु के चरणों को देखने से वह पाप मिट गया। (श्री रामजी ने कहा-) हे गंधर्व! सुनो, मैं तुम्हें कहता हूँ, ब्राह्मणकुल से द्रोह करने वाला मुझे नहीं सुहाता॥4॥
English :
IAST :
Meaning :