देखु देवपति भरत प्रभाऊ। सजह सुभायँ बिबस रघुराऊ॥ मन थिर करहु देव डरु नाहीं। भरतहि जानि राम परिछाहीं॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
चौपाई :
देखु देवपति भरत प्रभाऊ। सजह सुभायँ बिबस रघुराऊ॥
मन थिर करहु देव डरु नाहीं। भरतहि जानि राम परिछाहीं॥2॥
भावार्थ:
हे देवराज! भरतजी का प्रभाव तो देखो। श्री रघुनाथजी सहज स्वभाव से ही उनके पूर्णरूप से वश में हैं। हे देवताओं ! भरतजी को श्री रामचन्द्रजी की परछाईं (परछाईं की भाँति उनका अनुसरण करने वाला) जानकर मन स्थिर करो, डर की बात नहीं है॥2॥
English :
IAST :
Meaning :