धन्य धन्य मैं धन्य पुरारी। सुनेउँ राम गुन भव भय हारी॥5
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
सप्तमः सोपानः | Descent 7th
श्री उत्तरकाण्ड | Shri Uttara Kanda
चौपाई :
धन्य धन्य मैं धन्य पुरारी।
सुनेउँ राम गुन भव भय हारी॥5॥
भावार्थ:
हे त्रिपुरारि। मैं धन्य हूँ, धन्य-धन्य हूँ जो मैंने जन्म-मृत्यु के भय को हरण करने वाले श्री रामजी के गुण (चरित्र) सुने॥5॥
IAST :
Meaning :