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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

निज पानि मनि महुँ देखिअति मूरति सुरूपनिधान की। चालति न भुजबल्ली बिलोकनि बिरह भय बस जानकी॥ कौतुक बिनोद प्रमोदु प्रेमु न जाइ कहि जानहिं अलीं। बर कुअँरि सुंदर सकल सखीं लवाइ जनवासेहि चलीं॥3॥

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श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
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छन्द : 

 निज पानि मनि महुँ देखिअति मूरति सुरूपनिधान की।
चालति न भुजबल्ली बिलोकनि बिरह भय बस जानकी॥
कौतुक बिनोद प्रमोदु प्रेमु न जाइ कहि जानहिं अलीं।
बर कुअँरि सुंदर सकल सखीं लवाइ जनवासेहि चलीं॥3॥

भावार्थ:

अपने हाथ की मणियों में सुंदर रूप के भण्डार श्री रामचन्द्रजी की परछाहीं दिख रही है। यह देखकर जानकीजी दर्शन में वियोग होने के भय से बाहु रूपी लता को और दृष्टि को हिलाती-डुलाती नहीं हैं। उस समय के हँसी-खेल और विनोद का आनंद और प्रेम कहा नहीं जा सकता, उसे सखियाँ ही जानती हैं। तदनन्तर वर-कन्याओं को सब सुंदर सखियाँ जनवासे को लिवा चलीं॥3॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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