परी न राजहि नीद निसि हेतु जान जगदीसु। रामु रामु रटि भोरु किय कहइ ना मरमु महीसु॥38॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
दोहा :
परी न राजहि नीद निसि हेतु जान जगदीसु।
रामु रामु रटि भोरु किय कहइ ना मरमु महीसु॥38॥
भावार्थ:
राजा को रातभर नींद नहीं आई, इसका कारण जगदीश्वर ही जानें। इन्होंने ‘राम राम’ रटकर सबेरा कर दिया, परन्तु इसका भेद राजा कुछ भी नहीं बतलाते॥38॥
English :
IAST :
Meaning :