पुनि सब कथा बिभीषन कही। जेहि बिधि जनकसुता तहँ रही॥ तब हनुमंत कहा सुनु भ्राता। देखी चहउँ जानकी माता॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
पंचमः सोपान | Descent 5th
श्री सुंदरकाण्ड | Shri Sunderkand
चौपाई :
पुनि सब कथा बिभीषन कही। जेहि बिधि जनकसुता तहँ रही॥
तब हनुमंत कहा सुनु भ्राता। देखी चहउँ जानकी माता॥2॥
भावार्थ:
फिर विभीषणजी ने, श्री जानकीजी जिस प्रकार वहाँ (लंका में) रहती थीं, वह सब कथा कही। तब हनुमान्जी ने कहा- हे भाई सुनो, मैं जानकी माता को देखता चाहता हूँ॥2॥
English :
IAST :
Meaning :