पूजहिं प्रभुहि देव बहु बेषा। राम रूप दूसर नहिं देखा॥ अवलोके रघुपति बहुतेरे। सीता सहित न बेष घनेरे॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 54.2 | Caupāī 54.2
पूजहिं प्रभुहि देव बहु बेषा। राम रूप दूसर नहिं देखा॥
अवलोके रघुपति बहुतेरे। सीता सहित न बेष घनेरे॥2॥
भावार्थ:-(उन्होंने देखा कि) अनेकों वेष धारण करके देवता प्रभु श्री रामचन्द्रजी की पूजा कर रहे हैं, परन्तु श्री रामचन्द्रजी का दूसरा रूप कहीं नहीं देखा। सीता सहित श्री रघुनाथजी बहुत से देखे, परन्तु उनके वेष अनेक नहीं थे॥2॥
pūjahiṃ prabhuhi dēva bahu bēṣā. rāma rūpa dūsara nahiṃ dēkhā..
avalōkē raghupati bahutērē. sītā sahita na bēṣa ghanērē..
But while the gods who adored the Lord appeared in diverse garbs, the appearance of Sri Rama was the same in every case. Although She saw many Ramas with as many Sita, their garb did not vary.