प्रनवउँ परिजन सहित बिदेहू। जाहि राम पद गूढ़ सनेहू॥ जोग भोग महँ राखेउ गोई। राम बिलोकत प्रगटेउ सोई॥1॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 16.1| Caupāī 16.1
प्रनवउँ परिजन सहित बिदेहू। जाहि राम पद गूढ़ सनेहू॥
जोग भोग महँ राखेउ गोई। राम बिलोकत प्रगटेउ सोई॥1॥
भावार्थ:-मैं परिवार सहित राजा जनकजी को प्रणाम करता हूँ, जिनका श्री रामजी के चरणों में गूढ़ प्रेम था, जिसको उन्होंने योग और भोग में छिपा रखा था, परन्तु श्री रामचन्द्रजी को देखते ही वह प्रकट हो गया॥1॥
pranavauom parijana sahita bidēhū. jāhi rāma pada gūḍha sanēhū..
jōga bhōga mahaom rākhēu gōī. rāma bilōkata pragaṭēu sōī..
I make obeisance to king Janaka, alongwith his family, who bore hidden affection for the feet of Sri Rama. Even though he had veiled it under the cloak of asceticism and luxury, it broke out the moment he saw Sri Rama.