फिरे बीर रिपु मरइ न मारा। तब धावा करि घोर चिकारा॥ आवत देखि कुरद्ध जनु काला। लछिमन छाड़े बिसिख कराला॥5॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
षष्ठः सोपानः | Descent 6th
श्री लंकाकाण्ड | Shri Lanka Kand
चौपाई :
फिरे बीर रिपु मरइ न मारा। तब धावा करि घोर चिकारा॥
आवत देखि कुरद्ध जनु काला। लछिमन छाड़े बिसिख कराला॥5॥
भावार्थ:
शत्रु (मेघनाद) मारे नहीं मरता, यह देखकर जब वीर लौटे, तब वह घोर चिग्घाड़ करके दौड़ा। उसे क्रुद्ध काल की तरह आता देखकर लक्ष्मणजी ने भयानक बाण छोड़े॥5॥
IAST :
Meaning :