बचन बज्र जेहि सदा पिआरा। सहस नयन पर दोष निहारा॥6॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई6 |Caupāī 6
बचन बज्र जेहि सदा पिआरा। सहस नयन पर दोष निहारा॥6॥
भावार्थ:-जिनको कठोर वचन रूपी वज्र सदा प्यारा लगता है और जो हजार आँखों से दूसरों के दोषों को देखते हैं॥6॥
bacana bajra jēhi sadā piārā. sahasa nayana para dōṣa nihārā..
Harsh Ianguage is dear to him even as the thunderbolt is fondly cherished by Indra; and he detects others’ faults with a thousand eyes as it were.(6)