श्री बजरंग बाण का पाठ हिंदी भावार्थ सहित | Original Bajrang Baan Lyrics
श्री बजरंग बाण का पाठ हिंदी भावार्थ सहित | Original Bajrang Baan Lyrics
श्री बजरंग बाण परिचय: बजरंग बाण यानि की भगवान महावीर हनुमान रूपी बाण जिसके प्रयोग से हमारी सभी तरह की विपदाओं, दु:ख, रोग, शत्रु का नाश हो जाता है। इस पाठ के प्रभाव से हर तरह की परेशानी दूर हो जाती है।
दोनों हाथ जोड़कर बजरंग बली हनुमान जी का ध्यान करते हुए ध्यान करें। उसके बाद पाठ शुरु करें ।
बजरंग बाण पाठ के लाभ: जिस घर में नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ होता है वह घर दुर्भाग्य, दारिद्रय, भूत-प्रेत और असाध्य रोग के प्रकोप से सुरक्षित रहता है।
दोहा:
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करें सन्मान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ।।
भावार्थ:- जो भी व्यक्ति पूर्ण प्रेम विश्वास के साथ विनय पूर्वक अपनी आशा रखता है, रामभक्त हनुमान जी की कृपा से उसके सभी कार्य शुभदायक और सफल होते हैं ।।
चौपाई:
जय हनुमन्त सन्त हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।
भावार्थ:- हे भक्त वत्सल हनुमान जी आप संतों के हितकारी हैं, कृपा पूर्वक मेरी विनती भी सुन लीजिये ।।
जन के काज विलम्ब न कीजै । आतुर दौरि महा सुख दीजै ।।
भावार्थ:- हे प्रभु पवनपुत्र आपका दास अति संकट में है , अब बिलम्ब मत कीजिये एवं पवन गति से आकर भक्त को सुखी कीजिये ।।
जैसे कूदि सुन्धु के पारा । सुरसा बदन पैठि विस्तारा ।।
भावार्थ:- जिस प्रकार से आपने खेल-खेल में समुद्र को पार कर लिया था और सुरसा जैसी प्रबल और छली के मुंह में प्रवेश करके वापस भी लौट आये ।।
आगे जाई लंकिनी रोका । मारेहु लात गई सुर लोका ।।
भावार्थ:- जब आप लंका पहुंचे और वहां आपको वहां की प्रहरी लंकिनी ने ने रोका तो आपने एक ही प्रहार में उसे देवलोक भेज दिया ।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा । सीता निरखि परम पद लीन्हा ।।
भावार्थ:- राम भक्त विभीषण को जिस प्रकार अपने सुख प्रदान किया , और माता सीता के कृपापात्र बनकर वह परम पद प्राप्त किया जो अत्यंत ही दुर्लभ है ।।
बाग़ उजारि सिन्धु महं बोरा । अति आतुर जमकातर तोरा ।।
भावार्थ:- कौतुक-कौतुक में आपने सारे बाग़ को ही उखाड़कर समुद्र में डुबो दिया एवं बाग़ रक्षकों को जिसको जैसा दंड उचित था वैसा दंड दिया ।।
अक्षय कुमार मारि संहारा । लूम लपेट लंक को जारा ।।
भावार्थ:- बिना किसी श्रम के क्षण मात्र में जिस प्रकार आपने दशकंधर पुत्र अक्षय कुमार का संहार कर दिया एवं अपनी पूछ से सम्पूर्ण लंका नगरी को जला डाला ।।
लाह समान लंक जरि गई । जय जय धुनि सुरपुर में भई ।।
भावार्थ:- किसी घास-फूस के छप्पर की तरह सम्पूर्ण लंका नगरी जल गयी आपका ऐसा कृत्य देखकर हर जगह आपकी जय जयकार हुयी ।।
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी । कृपा करहु उन अन्तर्यामी ।।
भावार्थ:- हे प्रभु तो फिर अब मुझ दास के कार्य में इतना बिलम्ब क्यों ? कृपा पूर्वक मेरे कष्टों का हरण करो क्योंकि आप तो सर्वज्ञ और सबके ह्रदय की बात जानते हैं ।।
जय जय लखन प्राण के दाता । आतुर होय दुख हरहु निपाता ।।
भावार्थ:- हे दीनों के उद्धारक आपकी कृपा से ही लक्ष्मण जी के प्राण बचे थे , जिस प्रकार आपने उनके प्राण बचाये थे उसी प्रकार इस दीन के दुखों का निवारण भी करो ।।जै गिरिधर जै जै सुखसागर । सुर समूह समरथ भटनागर ।।
भावार्थ:- हे योद्धाओं के नायक एवं सब प्रकार से समर्थ, पर्वत को धारण करने वाले एवं सुखों के सागर मुझ पर कृपा करो ।।ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले । बैरिहि मारु बज्र की कीले ।।
भावार्थ:- हे हनुमंत – हे दुःख भंजन – हे हठीले हनुमंत मुझ पर कृपा करो और मेरे शत्रुओं को अपने वज्र से मारकर निस्तेज और निष्प्राण कर दो ।।
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो । महाराज निज दास उबारो ।।
भावार्थ:- हे प्रभु गदा और वज्र लेकर मेरे शत्रुओं का संहार करो और अपने इस दास को विपत्तियों से उबार लो ।।
सुनि पुकार हुंकार देय धावो । बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ।।
भावार्थ:- हे प्रतिपालक मेरी करुण पुकार सुनकर हुंकार करके मेरी विपत्तियों और शत्रुओं को निस्तेज करते हुए मेरी रक्षा हेतु आओ , शीघ्र अपने अस्त्र-शस्त्र से शत्रुओं का निस्तारण कर मेरी रक्षा करो ।।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा । ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा ।।
भावार्थ:- हे ह्रीं ह्रीं ह्रीं रूपी शक्तिशाली कपीश आप शक्ति को अत्यंत प्रिय हो और सदा उनके साथ उनकी सेवा में रहते हो , हुं हुं हुंकार रूपी प्रभु मेरे शत्रुओं के हृदय और मस्तक विदीर्ण कर दो ।।
सत्य होहु हरि शपथ पाय के । रामदूत धरु मारु जाय के ।।
भावार्थ:- हे दीनानाथ आपको श्री हरि की शपथ है मेरी विनती को पूर्ण करो – हे रामदूत मेरे शत्रुओं का और मेरी बाधाओं का विलय कर दो ।।
जय जय जय हनुमन्त अगाधा । दुःख पावत जन केहि अपराधा ।।
भावार्थ:- हे अगाध शक्तियों और कृपा के स्वामी आपकी सदा ही जय हो , आपके इस दास को किस अपराध का दंड मिल रहा है ?
पूजा जप तप नेम अचारा । नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ।।
भावार्थ:- हे कृपा निधान आपका यह दास पूजा की विधि , जप का नियम , तपस्या की प्रक्रिया तथा आचार-विचार सम्बन्धी कोई भी ज्ञान नहीं रखता मुझ अज्ञानी दास का उद्धार करो ।।
वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं । तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।।
भावार्थ:- आपकी कृपा का ही प्रभाव है कि जो आपकी शरण में है वह कभी भी किसी भी प्रकार के भय से भयभीत नहीं होता चाहे वह स्थल कोई जंगल हो अथवा सुन्दर उपवन चाहे घर हो अथवा कोई पर्वत ।।
पांय परों कर ज़ोरि मनावौं । यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।
भावार्थ:- हे प्रभु यह दास आपके चरणों में पड़ा हुआ हुआ है , हाथ जोड़कर आपके अपनी विपत्ति कह रहा हूँ , और इस ब्रह्माण्ड में भला कौन है जिससे अपनी विपत्ति का हाल कह रक्षा की गुहार लगाऊं ।।
जय अंजनि कुमार बलवन्ता । शंकर सुवन वीर हनुमन्ता ।।
भावार्थ:- हे अंजनी पुत्र हे अतुलित बल के स्वामी , हे शिव के अंश वीरों के वीर हनुमान जी मेरी रक्षा करो ।।
बदन कराल काल कुल घालक । राम सहाय सदा प्रति पालक ।।
भावार्थ:- हे प्रभु आपका शरीर अति विशाल है और आप साक्षात काल का भी नाश करने में समर्थ हैं , हे राम भक्त , राम के प्रिय आप सदा ही दीनों का पालन करने वाले हैं ।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर । अग्नि बेताल काल मारी मर ।।
भावार्थ:- चाहे वह भूत हो अथवा प्रेत हो भले ही वह पिशाच या निशाचर हो या अगिया बेताल हो या फिर अन्य कोई भी हो ।।
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की । राखु नाथ मरजाद नाम की ।।
भावार्थ:- हे प्रभु आपको आपके इष्ट भगवान राम की सौगंध है अविलम्ब ही इन सबका संहार कर दो और भक्त प्रतिपालक एवं राम-भक्त नाम की मर्यादा की आन रख लो ।।
जनकसुता हरि दास कहावौ । ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।।
भावार्थ:- हे जानकी एवं जानकी बल्लभ के परम प्रिय आप उनके ही दास कहाते हो ना , अब आपको उनकी ही सौगंध है इस दास की विपत्ति निवारण में विलम्ब मत कीजिये ।।
जय जय जय धुनि होत अकाशा । सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा ।।
भावार्थ:- आपकी जय-जयकार की ध्वनि सदा ही आकाश में होती रहती है और आपका सुमिरन करते ही दारुण दुखों का भी नाश हो जाता है ।।
चरण पकर कर ज़ोरि मनावौ । यहि अवसर अब केहि गौहरावौं ।।
भावार्थ:- हे रामदूत अब मैं आपके चरणों की शरण में हूँ और हाथ जोड़ कर आपको मना रहा हूँ – ऐसे विपत्ति के अवसर पर आपके अतिरिक्त किससे अपना दुःख बखान करूँ ।।
उठु उठु उठु चलु राम दुहाई । पांय परों कर ज़ोरि मनाई ।।
भावार्थ:- हे करूणानिधि अब उठो और आपको भगवान राम की सौगंध है मैं आपसे हाथ जोड़कर एवं आपके चरणों में गिरकर अपनी विपत्ति नाश की प्रार्थना कर रहा हूँ ।।
ॐ चं चं चं चं चं चपल चलंता । ऊँ हनु हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ।।
भावार्थ:- हे चं वर्ण रूपी तीव्रातितीव्र वेग (वायु वेगी ) से चलने वाले, हे हनुमंत लला मेरी विपत्तियों का नाश करो ।।
ऊँ हं हं हांक देत कपि चंचल । ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल ।।
भावार्थ:- हे हं वर्ण रूपी आपकी हाँक से ही समस्त दुष्ट जन ऐसे निस्तेज हो जाते हैं जैसे सूर्योदय के समय अंधकार सहम जाता है ।।
अपने जन को तुरत उबारो । सुमिरत होय आनन्द हमारो ।।
भावार्थ:- हे प्रभु आप ऐसे आनंद के सागर हैं कि आपका सुमिरण करते ही दास जन आनंदित हो उठते हैं अब अपने दास को विपत्तियों से शीघ्र ही उबार लो ।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै । ताहि कहो फिर कौन उबारै ।।भावार्थ:- यह बजरंग बाण यदि किसी को मार दिया जाए तो फिर भला इस अखिल ब्रह्माण्ड में उबारने वाला कौन है ?
पाठ करै बजरंग बाण की । हनुमत रक्षा करैं प्राम की ।।
भावार्थ:- जो भी पूर्ण श्रद्धा युक्त होकर नियमित इस बजरंग बाण का पाठ करता है , श्री हनुमंत लला स्वयं उसके प्राणों की रक्षा में तत्पर रहते हैं ।।
यह बजरंग बाण जो जापै । ताते भूत प्रेत सब कांपै ।।
भावार्थ:- जो भी व्यक्ति नियमित इस बजरंग बाण का जप करता है , उस व्यक्ति की छाया से भी बहुत-प्रेतादि कोसों दूर रहते हैं ।।
धूप देय अरु जपै हमेशा । ताके तन नहिं रहै कलेशा ।।
भावार्थ:- जो भी व्यक्ति धुप-दीप देकर श्रद्धा पूर्वक पूर्ण समर्पण से बजरंग बाण का पाठ करता है उसके शरीर पर कभी कोई व्याधि नहीं व्यापती है ।।
॥दोहा॥
उर प्रतीति दृढ सरन हवै,पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर करै,सब काज सफल हनुमान।
प्रेम प्रतीतिहि कपि भजे,सदा धरै उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल सुभ,सिद्ध करैं हनुमान॥
भावार्थ:- प्रेम पूर्वक एवं विश्वासपूर्वक जो कपिवर श्री हनुमान जी का स्मरण करता हैं एवं सदा उनका ध्यान अपने हृदय में करता है उसके सभी प्रकार के कार्य हनुमान जी की कृपा से सिद्ध होते हैं ।।
jai shree ram… bajrang baan ka hindi anuwad dekar aapne bahut hi accha kaam kiya. me isko kabse khoj raha tha.
This prayer is Very interesting and important 🌹🇮🇳👏
I like soo much which can be helpful to me fr God Hanuman ji prayer..🌹🇮🇳🇮🇳🇮🇳👏
Jay Hind 👏
I love my lords equals parents the gods are no body else can take place of God only mother and father can take this place
जय बजरंग बल्ली की जय जय श्री राम🙏🙏🙏🙏🙏😔😔😔😔😔🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
Mujhe bajrang ban ka Hindi anuvad bahut achha Lga
Jai Shri RAM
Jai Hanuman
Thankyou 🙏🙏
Jai Siya pati ram chander ji ki jai, pawan putr Hanuman ji ki Jai, rudraabtar Hanuman ji ki Jai hari om hari 🙏
Bhut bdiaaaa
Me bajarang bali ka bhakt hu unka nam lete he mene sabhi kam kiye hai muje “bajarang baan ka arth samjkar bhahut acha laga Thank You “Ramcharit.in Team Jai ho Sankat Mochan Hanuman ji ki prabhu apki sada he jai ho..❤️🕉️🙏🏻🙏🏻🙏🏻
aap bahut uttam karya kar rahe hain |
eshwar aap ko sadaiv dhan dhanya se paripurna rakhen|
जय श्री राम
Jai shri raam hanuman ko mera koti koti pranam🙏
Jay bajarang Bali 🙏
Thank u
बहुत बहुत धन्यवाद जी
Galat likha h slok kuch kuch kamse kam slok to nahi likho koi padhega to galat padega
Kripaya batayen kahan galat likha hai.
आपने बजरंग बाण का हिंदी अनुवाद बताकर एक बहुत महत्वपूर्ण सद्कार्य किया है। आपको कोटिशः धन्यवाद। श्रीरामदूत आप पर सदैव कृपा बनाये रखें। जय श्री राम।