बार बार मुनि बिप्रबर कहा राम सन राम। बोले भृगुपति सरुष हसि तहूँ बंधू सम बाम॥282॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
बार बार मुनि बिप्रबर कहा राम सन राम।
बोले भृगुपति सरुष हसि तहूँ बंधू सम बाम॥282॥
भावार्थ:
श्री रामचन्द्रजी ने परशुरामजी को बार-बार ‘मुनि’ और ‘विप्रवर’ कहा। तब भृगुपति (परशुरामजी) कुपित होकर (अथवा क्रोध की हँसी हँसकर) बोले- तू भी अपने भाई के समान ही टेढ़ा है॥282॥
English :
IAST :
Meaning :