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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

बार बार सनमानहिं रानी। उमा रमा सारद सम जानी॥ सीय सँवारि समाजु बनाई। मुदित मंडपहिं चलीं लवाई॥4॥

Spread the Glory of Sri SitaRam!

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चौपाई : 

 बार बार सनमानहिं रानी। उमा रमा सारद सम जानी॥
सीय सँवारि समाजु बनाई। मुदित मंडपहिं चलीं लवाई॥4॥

भावार्थ:

उन्हें पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के समान जानकर रानी बार-बार उनका सम्मान करती हैं। (रनिवास की स्त्रियाँ और सखियाँ) सीताजी का श्रृंगार करके, मंडली बनाकर, प्रसन्न होकर उन्हें मंडप में लिवा चलीं॥4॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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