बिटप बिसाल लता अरुझानी। बिबिध बितान दिए जनु तानी॥ कदलि ताल बर धुजा पताका। देखि न मोह धीर मन जाका॥1॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
तृतीय सोपान | Descent Third
श्री अरण्यकाण्ड | Shri Aranya-Kand
चौपाई :
बिटप बिसाल लता अरुझानी। बिबिध बितान दिए जनु तानी॥
कदलि ताल बर धुजा पताका। देखि न मोह धीर मन जाका॥1॥
भावार्थ:
विशाल वृक्षों में लताएँ उलझी हुई ऐसी मालूम होती हैं मानो नाना प्रकार के तंबू तान दिए गए हैं। केला और ताड़ सुंदर ध्वजा-पताका के समान हैं। इन्हें देखकर वही नहीं मोहित होता, जिसका मन धीर है।॥1॥
English :
IAST :
Meaning :