बूढ़ भएसि न त मरतेउँ तोही। अब जनि नयन देखावसि मोही॥ तेहिं अपने मन अस अनुमाना। बध्यो चहत एहि कृपानिधाना॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
षष्ठः सोपानः | Descent 6th
श्री लंकाकाण्ड | Shri Lanka Kand
चौपाई :
बूढ़ भएसि न त मरतेउँ तोही। अब जनि नयन देखावसि मोही॥
तेहिं अपने मन अस अनुमाना। बध्यो चहत एहि कृपानिधाना॥2॥
भावार्:
तू बूढ़ा हो गया, नहीं तो तुझे मार ही डालता। अब मेरी आँखों को अपना मुँह न दिखला। रावण के ये वचन सुनकर उसने (माल्यवान् ने) अपने मन में ऐसा अनुमान किया कि इसे कृपानिधान श्री रामजी अब मारना ही चाहते हैं॥2॥
English :
IAST :
Meaning :