बैनतेय संकर पहिं जाहू। तात अनत पूछहु जनि काहू॥ तहँ होइहि तव संसय हानी। चलेउ बिहंग सुनत बिधि बानी॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
सप्तमः सोपानः | Descent 7th
श्री उत्तरकाण्ड | Shri Uttara Kanda
चौपाई :
बैनतेय संकर पहिं जाहू। तात अनत पूछहु जनि काहू॥
तहँ होइहि तव संसय हानी। चलेउ बिहंग सुनत बिधि बानी॥4॥
भावार्थ:
हे गरुड़! तुम शंकरजी के पास जाओ। हे तात! और कहीं किसी से न पूछना। तुम्हारे संदेह का नाश वहीं होगा। ब्रह्माजी का वचन सुनते ही गरुड़ चल दिए॥4॥
IAST :
Meaning :