भरत-स्तुति
भरत-स्तुति
३९
जयति
भूमिजा-रमण-पदकञ्ज-मकरन्द-रस-
रसिक-मधुकर भरत भूरिभागी।
भुवन-भूषण, भानुवंश-भूषण, भूमिपाल-
मनि रामचन्द्रानुरागी ॥ १ ॥
जयति विबुधेश-धनदादि-दुर्लभ-महा-
राज-सम्म्राज-सुख-पद-विरागी।
खड्ग-धाराव्रती-प्रथमरेखा प्रकट
शुद्धमति-युवति पति-प्रेमपागी ॥ २ ॥
जयति निरुपाधि-भक्तिभाव-यन्त्रित-ह्रदय ,
बन्धु-हित चित्रकुटाद्रि-चारी।
पादुका-नृप-सचिव,पुहुमि-पालक परम
धरम-धुर-धीर, वरवीर भारी ॥ ३ ॥
जयति सञ्जीवनी-समय-सङ्कट हनूमान
धनुबान-महिमा बखानी।
बाहुबल बिपुल परमिति पराक्रम अतुल,
गूढ गति जानकी-जानि जानी ॥ ४ ॥
जयति रण-अजिर गन्धर्व-गण-गर्वहर,
फिर किये रामगुणगाथ-गाता।
माण्डवी-चित्त-चातक-नवाम्बुद-बरन,
सरन तुलसीदास अभय दाता ॥ ५ ॥