मंगल करनि कलिमल हरनि तुलसी कथा रघुनाथ की। गति कूर कबिता सरित की ज्यों सरित पावन पाथ की॥ प्रभु सुजस संगति भनिति भलि होइहि सुजन मन भावनी भव अंग भूति मसान की सुमिरत सुहावनि पावनी॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
छंद|Chhand
मंगल करनि कलिमल हरनि तुलसी कथा रघुनाथ की।
गति कूर कबिता सरित की ज्यों सरित पावन पाथ की॥
प्रभु सुजस संगति भनिति भलि होइहि सुजन मन भावनी
भव अंग भूति मसान की सुमिरत सुहावनि पावनी॥
भावार्थ:-तुलसीदासजी कहते हैं कि श्री रघुनाथजी की कथा कल्याण करने वाली और कलियुग के पापों को हरने वाली है। मेरी इस भद्दी कविता रूपी नदी की चाल पवित्र जल वाली नदी (गंगाजी) की चाल की भाँति टेढ़ी है। प्रभु श्री रघुनाथजी के सुंदर यश के संग से यह कविता सुंदर तथा सज्जनों के मन को भाने वाली हो जाएगी। श्मशान की अपवित्र राख भी श्री महादेवजी के अंग के संग से सुहावनी लगती है और स्मरण करते ही पवित्र करने वाली होती है।
maṃgala karani kali mala harani tulasī kathā raghunātha kī..
gati kūra kabitā sarita kī jyōṃ sarita pāvana pātha kī..
prabhu sujasa saṃgati bhaniti bhali hōihi sujana mana bhāvanī..
bhava aṃga bhūti masāna kī sumirata suhāvani pāvanī..
The tale of the Lord of Raghus, O Tulasidasa, brings forth blessings and wipes away the impurities of the Kali age. The course of this stream of my poetry is tortuous like that of the holy Ganga. By its association with the auspicious glory of the Lord my composition will be blessed and will captivate the mind of the virtuous. On the person of Lord Siva, even the ashes of the cremation-ground appear charming and purify by their very thought.