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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

मागउँ भीख त्यागि निज धरमू। आरत काह न करइ कुकरमू॥ अस जियँ जानि सुजान सुदानी। सफल करहिं जग जाचक बानी॥4॥

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श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
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चौपाई

 मागउँ भीख त्यागि निज धरमू। आरत काह न करइ कुकरमू॥
अस जियँ जानि सुजान सुदानी। सफल करहिं जग जाचक बानी॥4॥

भावार्थ:

मैं अपना धर्म (न माँगने का क्षत्रिय धर्म) त्यागकर आप से भीख माँगता हूँ। आर्त्त मनुष्य कौन सा कुकर्म नहीं करता? ऐसा हृदय में जानकर सुजान उत्तम दानी जगत्‌ में माँगने वाले की वाणी को सफल किया करते हैं (अर्थात्‌ वह जो माँगता है, सो दे देते हैं)॥4॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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