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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

मुद मंगलमय संत समाजू। जो जग जंगम तीरथराजू॥ राम भक्ति जहँ सुरसरि धारा। सरसइ ब्रह्म बिचार प्रचारा॥4॥

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श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई4 |Caupāī 4

 

 मुद मंगलमय संत समाजू। जो जग जंगम तीरथराजू॥
राम भक्ति जहँ सुरसरि धारा। सरसइ ब्रह्म बिचार प्रचारा॥4॥

 

भावार्थ:-संतों का समाज आनंद और कल्याणमय है, जो जगत में चलता-फिरता तीर्थराज (प्रयाग) है। जहाँ (उस संत समाज रूपी प्रयागराज में) राम भक्ति रूपी गंगाजी की धारा है और ब्रह्मविचार का प्रचार सरस्वतीजी हैं॥4॥

muda maṃgalamaya saṃta samājū. jō jaga jaṃgama tīratharājū..
rāma bhakti jahaom surasari dhārā. sarasai brahma bicāra pracārā..

 

The assemblage of saints, which is all joy and felicity, is a moving Prayaga (the king of all holy places) as it were. Devotion to Sri Rama represents, in this moving Prayaga, the stream of the holy Ganga, the river of the celestials; while the proceeding of an enquiry into the nature of Brahma (the Absolute) constitutes the Sarasvati (a subterranean stream which is traditionally believed to join the Ganga and the Yamuna at Prayaga, thus accounting for the name ‘Triveni’, which signifies a meeting-place of three rivers).


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