मूदहु नयन बिबर तजि जाहू। पैहहु सीतहि जनि पछिताहू॥ नयन मूदि पुनि देखहिं बीरा। ठाढ़े सकल सिंधु कें तीरा॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
चतुर्थ: सोपान | Descent 4th
श्री किष्किंधाकांड | Shri kishkindha-Kand
चौपाई :
मूदहु नयन बिबर तजि जाहू। पैहहु सीतहि जनि पछिताहू॥
नयन मूदि पुनि देखहिं बीरा। ठाढ़े सकल सिंधु कें तीरा॥3॥
भावार्थ:
तुम लोग आँखें मूँद लो और गुफा को छोड़कर बाहर जाओ। तुम सीताजी को पा जाओगे, पछताओ नहीं (निराश न होओ)। आँखें मूँदकर फिर जब आँखें खोलीं तो सब वीर क्या देखते हैं कि सब समुद्र के तीर पर खड़े हैं॥3॥
English :
IAST :
Meaning :