मैं अपनी दिसि कीन्ह निहोरा। तिन्ह निज ओर न लाउब भोरा॥ बायस पलिअहिं अति अनुरागा। होहिं निरामिष कबहुँ कि कागा॥1॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई1 | Caupāī 1
मैं अपनी दिसि कीन्ह निहोरा। तिन्ह निज ओर न लाउब भोरा॥
बायस पलिअहिं अति अनुरागा। होहिं निरामिष कबहुँ कि कागा॥1॥
भावार्थ:-मैंने अपनी ओर से विनती की है, परन्तु वे अपनी ओर से कभी नहीं चूकेंगे। कौओं को बड़े प्रेम से पालिए, परन्तु वे क्या कभी मांस के त्यागी हो सकते हैं?॥1॥
maiṃ apanī disi kīnha nihōrā. tinha nija ōra na lāuba bhōrā..
bāyasa paliahiṃ ati anurāgā. hōhiṃ nirāmiṣa kabahuom ki kāgā..
I for my part have made entreaties to them; they too must not fail to do their part. However fondly you may nurture a brood of crows, can you ever expect ravens to turn vegetarians?