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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

यन्मायावशवर्ति विश्वमखिलं ब्रह्मादिदेवासुरा यत्सत्त्वादमृषैव भाति सकलं रज्जौ यथाहेर्भ्रमः।

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श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
श्लोक 6 | śloka 6 

 

यन्मायावशवर्ति विश्वमखिलं ब्रह्मादिदेवासुरा
यत् सत्त्वादमृषेव भाति सकलं रज्जौ यथाहेर्भ्रमः।
यत्पादप्लवमेकमेव हि भवाम्भोधेस्तितीर्षावतां
वन्देऽहं तमशेषकारणपरं रामाख्यमीशं हरिम्‌॥6॥

yanmayavashavarti vishvamakhilam brahmadidevasura
yatsattvadanrishaiva bhati sakalam rajjau yathaherbhramah|
yatpadaplavamekameva hi bhavambhodhestitirshavatam
vande’ham tamasheshakaranaparam ramakhyamisham harim‌||6||

 

भावार्थ:-जिनकी माया के वशीभूत सम्पूर्ण विश्व, ब्रह्मादि देवता और असुर हैं, जिनकी सत्ता से रस्सी में सर्प के भ्रम की भाँति यह सारा दृश्य जगत्‌ सत्य ही प्रतीत होता है और जिनके केवल चरण ही भवसागर से तरने की इच्छा वालों के लिए एकमात्र नौका हैं, उन समस्त कारणों से पर (सब कारणों के कारण और सबसे श्रेष्ठ) राम कहलाने वाले भगवान हरि की मैं वंदना करता हूँ॥6॥

 

yanmāyāvaśavartiṃ viśvamakhilaṃ brahmādidēvāsurā
yatsatvādamṛṣaiva bhāti sakalaṃ rajjau yathāhērbhramaḥ.
yatpādaplavamēkamēva hi bhavāmbhōdhēstitīrṣāvatāṃ
vandē.haṃ tamaśēṣakāraṇaparaṃ rāmākhyamīśaṃ harim..6..

 

I adore Lord Hari, known by the name of Sri Rama, who is superior to and lies beyond all causes, whose Maya (illusive power) holds sway over the entire universe including gods from Brahma (the Creator) downwards and demons, whose presence lends positive reality to the world of appearances-even as the false notion of a serpent is entertained with reference to a rope-and whose feet are the only bark for those who are eager to cross the ocean of mundane existence.(6)


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3 thoughts on “यन्मायावशवर्ति विश्वमखिलं ब्रह्मादिदेवासुरा यत्सत्त्वादमृषैव भाति सकलं रज्जौ यथाहेर्भ्रमः।

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