राका रजनी भगति तव राम नाम सोइ सोम। अपर नाम उडगन बिमल बसहुँ भगत उर ब्योम॥42 क॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
तृतीय सोपान | Descent Third
श्री अरण्यकाण्ड | Shri Aranya-Kand
दोहा :
राका रजनी भगति तव राम नाम सोइ सोम।
अपर नाम उडगन बिमल बसहुँ भगत उर ब्योम॥42 क॥
भावार्थ:
आपकी भक्ति पूर्णिमा की रात्रि है, उसमें ‘राम’ नाम यही पूर्ण चंद्रमा होकर और अन्य सब नाम तारागण होकर भक्तों के हृदय रूपी निर्मल आकाश में निवास करें॥42 (क)॥
English :
IAST :
Meaning :