राम चरित सर बिनु अन्हवाएँ। सो श्रम जाइ न कोटि उपाएँ॥ कबि कोबिद अस हृदयँ बिचारी। गावहिं हरि जस कलि मल हारी॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 10(ख).3 |Caupāī 10( Kha).3
राम चरित सर बिनु अन्हवाएँ।
सो श्रम जाइ न कोटि उपाएँ॥
कबि कोबिद अस हृदयँ बिचारी। गावहिं हरि जस कलि मल हारी॥3॥
भावार्थ:-सरस्वतीजी की दौड़ी आने की वह थकावट रामचरित रूपी सरोवर में उन्हें नहलाए बिना दूसरे करोड़ों उपायों से भी दूर नहीं होती। कवि और पण्डित अपने हृदय में ऐसा विचारकर कलियुग के पापों को हरने वाले श्री हरि के यश का ही गान करते हैं॥3॥
rāma carita sara binu anhavāēom. sō śrama jāi na kōṭi upāēom..
kabi kōbida asa hṛdayaom bicārī. gāvahiṃ hari jasa kali mala hārī..
The fatigue occasioned by this long journey cannot be relieved by millions of devices unless she takes a dip in the lake of Sri Rama’s exploits. Realizing this in their heart, poets and wise men chant the glory of Sri Hari alone, which wipes away the impurities of the Kali age.