राम बचन मृदु गूढ़ सुनि उपजा अति संकोचु। सती सभीत महेस पहिं चलीं हृदयँ बड़ सोचु॥53॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
दोहा 53 | Dohas 53
राम बचन मृदु गूढ़ सुनि उपजा अति संकोचु।
सती सभीत महेस पहिं चलीं हृदयँ बड़ सोचु॥53॥
भावार्थ:-श्री रामचन्द्रजी के कोमल और रहस्य भरे वचन सुनकर सतीजी को बड़ा संकोच हुआ। वे डरती हुई (चुपचाप) शिवजी के पास चलीं, उनके हृदय में बड़ी चिन्ता हो गई॥53॥
rāma bacana mṛdu gūḍha suni upajā ati saṃkōcu.
satī sabhīta mahēsa pahiṃ calīṃ hṛdayaom baḍa sōcu..53..
Sati felt very uncomfortable when She heard these soft yet significant words of Rama. She turned towards the great Lord Siva with a feeling of awe and much dejected at heart.