राम सखाँ तब नाव मगाई। प्रिया चढ़ाई चढ़े रघुराई॥ लखन बान धनु धरे बनाई। आपु चढ़े प्रभु आयसु पाई॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
चौपाई :
राम सखाँ तब नाव मगाई। प्रिया चढ़ाई चढ़े रघुराई॥
लखन बान धनु धरे बनाई। आपु चढ़े प्रभु आयसु पाई॥2॥
भावार्थ:
तब श्री रामचन्द्रजी के सखा निषादराज ने नाव मँगवाई। पहले प्रिया सीताजी को उस पर चढ़ाकर फिर श्री रघुनाथजी चढ़े। फिर लक्ष्मणजी ने धनुष-बाण सजाकर रखे और प्रभु श्री रामचन्द्रजी की आज्ञा पाकर स्वयं चढ़े॥2॥
English :
IAST :
Meaning :