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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

राम सुना दुखु कान न काऊ। जीवनतरु जिमि जोगवइ राउ॥ पलक नयन फनि मनि जेहि भाँती। जोगवहिं जननि सकल दिन राती॥1॥

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श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
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चौपाई

 राम सुना दुखु कान न काऊ। जीवनतरु जिमि जोगवइ राउ॥
पलक नयन फनि मनि जेहि भाँती। जोगवहिं जननि सकल दिन राती॥1॥

भावार्थ:

श्री रामचंद्रजी ने कानों से भी कभी दुःख का नाम नहीं सुना। महाराज स्वयं जीवन वृक्ष की तरह उनकी सार-सँभाल किया करते थे। सब माताएँ भी रात-दिन उनकी ऐसी सार-सँभाल करती थीं, जैसे पलक नेत्रों और साँप अपनी मणि की करते हैं॥1॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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