रूप बिसेष नाम बिनु जानें। करतल गत न परहिं पहिचानें॥ सुमिरिअ नाम रूप बिनु देखें। आवत हृदयँ सनेह बिसेषें॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 20.3| |Caupāī 20.3
रूप बिसेष नाम बिनु जानें। करतल गत न परहिं पहिचानें॥
सुमिरिअ नाम रूप बिनु देखें। आवत हृदयँ सनेह बिसेषें॥3॥
भावार्थ:-कोई सा विशेष रूप बिना उसका नाम जाने हथेली पर रखा हुआ भी पहचाना नहीं जा सकता और रूप के बिना देखे भी नाम का स्मरण किया जाए तो विशेष प्रेम के साथ वह रूप हृदय में आ जाता है॥3॥
rūpa bisēṣa nāma binu jānēṃ. karatala gata na parahiṃ pahicānēṃ..
sumiria nāma rūpa binu dēkhēṃ. āvata hṛdayaom sanēha bisēṣēṃ..
Typical forms cannot be identified, even if they be in your hand, without knowing their name. And if the name is remembered even without seeing the form, the latter flashes on the mind with a special liking for it.