RamCharitManas (RamCharit.in)

इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

Uncategorized

विभीषण कृत हनुमान स्तोत्र

Spread the Glory of Sri SitaRam!

विभीषण कृत हनुमान स्तोत्र

श्रीसुदर्शनसंहिता में भक्त प्रवर विभीषण महात्मा गरुड़ को श्रीमारुति की महिमा सुनाते हुए कहते हैं कि सर्व प्रकार के भय, बाधा, संताप तथा दुष्ट गृहजन्य समस्त संकटों का उन्मूलन करने वाला श्री हनुमान जी का यह स्तोत्र है। कल्याणकांक्षी मनुष्य यदि नित्य प्रति इसका पाठ करता है तो वह सर्वबाधाजन्य संकटों से मुक्त हो मारुति की कृपा से सुख, शान्ति एवं समृद्धि को प्राप्त करता है। स्तोत्र इस प्रकार है :–

नमो हनुमते तुभ्यं नमो मारुतसूनवे।
नम: श्रीरामभक्ताय श्यामास्याय च ते नम:।। 1।।

नमो वानरवीराय सुग्रीवसख्यकारिणे।
लंकाविदाहनार्थय हेलासागरतारिणे।। 2।।

सीताशोकविनाशाय राममुद्राधराय च।
रावणान्तकुलच्छेदकारिणे ते नमो नम:।। 3।।

मेघनादमखध्वंसकारिणे ते नमो नम:।
अशोकवनविध्वंसकारिणे भयहारिणे।। 4।।

वायुपुत्राय वीराय आकाशोदरगामिने।
वनपालशिरश्छेदलंकाप्रासादभज्जिने।। 5।।

ज्वल्तकनकवर्णाय दीर्घलाङ्गूलधारिणे।
सौमित्रिजयदात्रे च रामदूताय ते नम:।। 6।।

अक्षस्य वधकत्र्रे च बह्मपाशनिवारिणे।
लक्ष्मणांगमहाशक्तिघातक्षतविनाशिने।। 7।।

रक्षोघ्नाय निपुघ्नाय भूतघ्नाय च ते नम:।
ऋक्षवानरवीरौघप्राणदाय नमो नम:।। 8।।

परसैन्यबलध्नाय शस्त्रास्त्रघ्नाय ते मन:।
विषध्नाय द्विषघ्नाय ज्वरघ्नाय च ते नम:।। 9।।

महाभयरिपुघ्नाय भक्तत्राणैककारिणे।
परप्रेरितमन्त्राणां यन्त्राणां स्तम्भकारिणी।। 10।।

पय:पाषाणतरणकारणाय नमो नम:।
बालार्कमण्डलग्रासकारिणे भवतारिणे।। 11।।

नखायुधाय भीमाय दन्तायुधधराय च।
रिपुमायाविनाशाय रामाज्ञालोकरक्षिणे।। 12।।

प्रतिग्रामस्थितायाथ रक्षोभूतवधार्थिने।
करालशैलशस्त्राय दु्रमशस्त्राय ते नम:।। 13।।

बालैकब्रह्मचर्याय रुद्रमूर्तिधराय च।
विहंगमाय सर्वाय वज्रदेहाय ते नम:।। 14।।

कौपीनवाससे तुभ्यं रामभक्तिरताय च।
दक्षिणाशाभास्कराय शतचन्द्रोदयात्मने।। 15।।

कृत्याक्षतव्याथाघ्नाय सर्वक्लेशहराय च।
स्वाम्याज्ञापार्थसंग्रामसंख्ये संजयधारिणे।।16।।

भक्तान्तदिव्यवादेषु संग्रामे जयदायिने।
किल्किलाबुबुकोच्चारघोरशब्दकराय च।।17।।

सर्पाग्निव्याधिसंत्तम्भकारिणी वनचारिणे।
सदा वनफलाहारसंतृप्ताय विशेषत:।।18।।

महार्णवशिलाबद्धसेतुबन्धाय ते नम:।
वादे विवादे संग्रामे भये घोरे महावने।।19।।

सिंहव्याघ्रादिचौरेभ्य: स्तोत्रपाठाद् भयं न हिं
दिव्ये भूतभये व्याधौ विषे स्थावरजंगमे।।20।।

राजशस्त्रभये चोग्रे तथा ग्रहभयेषु च।
जले सर्वे महावृष्टौ दुर्भिक्षे प्राणसम्प्लवे।।21।।

पठेत् स्तोत्रं प्रमुच्यते भयेभ्य: सर्वतो नर:।
तस्य क्वापि भयं नास्ति हनुमत्स्तवपाठत:।।22।।

सर्वदा वै त्रिकालं च पठनीयमिमं स्तवम्।
सर्वान् कामानवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा।। 23।।

विभषणकृतं स्तोत्रं ताक्ष्र्येण समुदीरितम्।
ये पठिष्यन्ति भक्त्या वै सिद्धयस्तत्करे स्थिता:।। 24।।

इति श्रीसुदर्शनसंहितायां विभीषणगरुडसंवादे विभषणकृतं हनुमत्स्तोत्रं सम्पूर्णम्।।


Spread the Glory of Sri SitaRam!

Shiv

शिव RamCharit.in के प्रमुख आर्किटेक्ट हैं एवं सनातन धर्म एवं संस्कृत के सभी ग्रंथों को इंटरनेट पर निःशुल्क और मूल आध्यात्मिक भाव के साथ कई भाषाओं में उपलब्ध कराने हेतु पिछले 8 वर्षों से कार्यरत हैं। शिव टेक्नोलॉजी पृष्ठभूमि के हैं एवं सनातन धर्म हेतु तकनीकि के लाभकारी उपयोग पर कार्यरत हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सत्य सनातन फाउंडेशन (रजि.) भारत सरकार से स्वीकृत संस्था है। हिन्दू धर्म के वैश्विक संवर्धन-संरक्षण व निःशुल्क सेवाकार्यों हेतु आपके आर्थिक सहयोग की अति आवश्यकता है! हम धर्मग्रंथों को अनुवाद के साथ इंटरनेट पर उपलब्ध कराने हेतु अग्रसर हैं। कृपया हमें जानें और सहयोग करें!

X
error: