श्रोता बकता ग्याननिधि कथा राम कै गूढ़। किमि समुझौं मैं जीव जड़ कलि मल ग्रसित बिमूढ़॥30ख॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
दोहा 30(ख)| |Dohas 30(kha)
श्रोता बकता ग्याननिधि कथा राम कै गूढ़।
किमि समुझौं मैं जीव जड़ कलि मल ग्रसित बिमूढ़॥30ख॥
भावार्थ:-श्री रामजी की गूढ़ कथा के वक्ता (कहने वाले) और श्रोता (सुनने वाले) दोनों ज्ञान के खजाने (पूरे ज्ञानी) होते हैं। मैं कलियुग के पापों से ग्रसा हुआ महामूढ़ जड़ जीव भला उसको कैसे समझ सकता था?॥30 ख॥
śrōtā bakatā gyānanidhi kathā rāma kai gūḍha.
kimi samujhauṃ mai jīva jaḍa kali mala grasita bimūḍha..30kha..
Both the listener and the reciter of the mysterious story of Sri Rama must be repositories of wisdom. How, then could I, a dull and stupid creature steeped in the impurities of the Kali age, expect to follow it ?