संत संभु श्रीपति अपबादा। सुनिअ जहाँ तहँ असि मरजादा॥ काटिअ तासु जीभ जो बसाई। श्रवन मूदि न त चलिअ पराई॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई (63.2) | Caupāī (63.2)
संत संभु श्रीपति अपबादा। सुनिअ जहाँ तहँ असि मरजादा॥
काटिअ तासु जीभ जो बसाई। श्रवन मूदि न त चलिअ पराई॥2॥
भावार्थ:-जहाँ संत, शिवजी और लक्ष्मीपति श्री विष्णु भगवान की निंदा सुनी जाए, वहाँ ऐसी मर्यादा है कि यदि अपना वश चले तो उस (निंदा करने वाले) की जीभ काट लें और नहीं तो कान मूँदकर वहाँ से भाग जाएँ॥2॥
saṃta saṃbhu śrīpati apabādā. sunia jahāom tahaom asi marajādā..
kāṭia tāsu jībha jō basāī. śravana mūdi na ta calia parāī..
Wherever you hear a saint, Sambhu or Visnu (the Lord of Laksmi) vilified, the rule is that if it lies within your power you should tear out the tongue of the reviler or you should run away closing your ears.