सतानंदु तब जनक बोलाए। कौसिक मुनि पहिं तुरत पठाए॥ जनक बिनय तिन्ह आइ सुनाई। हरषे बोलि लिए दोउ भाई॥5॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
सतानंदु तब जनक बोलाए। कौसिक मुनि पहिं तुरत पठाए॥
जनक बिनय तिन्ह आइ सुनाई। हरषे बोलि लिए दोउ भाई॥5॥
भावार्थ:
तब जनकजी ने शतानंदजी को बुलाया और उन्हें तुरंत ही विश्वामित्र मुनि के पास भेजा। उन्होंने आकर जनकजी की विनती सुनाई। विश्वामित्रजी ने हर्षित होकर दोनों भाइयों को बुलाया॥5॥
English :
IAST :
Meaning :