सतीं हृदयँ अनुमान किय सबु जानेउ सर्बग्य। कीन्ह कपटु मैं संभु सन नारि सहज जड़ अग्य॥57 क॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
दोहा 57 (क) | Dohas 57 (ka)
सतीं हृदयँ अनुमान किय सबु जानेउ सर्बग्य।
कीन्ह कपटु मैं संभु सन नारि सहज जड़ अग्य॥57 क॥
भावार्थ:-सतीजी ने हृदय में अनुमान किया कि सर्वज्ञ शिवजी सब जान गए। मैंने शिवजी से कपट किया, स्त्री स्वभाव से ही मूर्ख और बेसमझ होती है॥57 (क)॥
satīṃ hṛdaya anumāna kiya sabu jānēu sarbagya.
kīnha kapaṭu maiṃ saṃbhu sana nāri sahaja jaḍa agya..57ka..
Sati concluded that the omniscient Lord had come to know everything and felt sorry that She had tried to deceive Sambhu. The woman is silly and stupid by nature, She realized. (57A)