सब गुन रहित कुकबि कृत बानी। राम नाम जस अंकित जानी॥ सादर कहहिं सुनहिं बुध ताही। मधुकर सरिस संत गुनग्राही॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 9.3| caupāī 9.3
सब गुन रहित कुकबि कृत बानी।
राम नाम जस अंकित जानी॥
सादर कहहिं सुनहिं बुध ताही। मधुकर सरिस संत गुनग्राही॥3॥
भावार्थ:-इसके विपरीत, कुकवि की रची हुई सब गुणों से रहित कविता को भी, राम के नाम एवं यश से अंकित जानकर, बुद्धिमान लोग आदरपूर्वक कहते और सुनते हैं, क्योंकि संतजन भौंरे की भाँति गुण ही को ग्रहण करने वाले होते हैं॥3॥
saba guna rahita kukabi kṛta bānī. rāma nāma jasa aṃkita jānī..
sādara kahahiṃ sunahiṃ budha tāhī. madhukara sarisa saṃta gunagrāhī..
On the other hand, the wise recite and hear with admiration even the composition of a worthless poet, which is devoid of all merit, knowing it as adorned with the name and glory of Sri Rama; for, like the bee, saints have a bias for goodness.