सीता मन भरोस तब भयऊ। पुनि लघु रूप पवनसुत लयऊ॥5॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
पंचमः सोपान | Descent 5th
श्री सुंदरकाण्ड | Shri Sunderkand
चौपाई :
सीता मन भरोस तब भयऊ।
पुनि लघु रूप पवनसुत लयऊ॥5॥
भावार्थ:
तब (उसे देखकर) सीताजी के मन में विश्वास हुआ। हनुमान्जी ने फिर छोटा रूप धारण कर लिया॥5॥
English :
IAST :
Meaning :