सीता राम संग बनबासू। कोटि अमरपुर सरिस सुपासू॥ परिहरि लखन रामु बैदेही। जेहि घरु भाव बाम बिधि तेही॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
चौपाई :
सीता राम संग बनबासू। कोटि अमरपुर सरिस सुपासू॥
परिहरि लखन रामु बैदेही। जेहि घरु भाव बाम बिधि तेही॥2॥
भावार्थ:
श्री सीता-रामजी के साथ वन में रहना करोड़ों देवलोकों के (निवास के) समान सुखदायक है। श्री लक्ष्मणजी, श्री रामजी और श्री जानकीजी को छोड़कर जिसको घर अच्छा लगे, विधाता उसके विपरीत हैं॥2॥
English :
IAST :
Meaning :