सुनत बिहसि बोला दसकंधर। अंग भंग करि पठइअ बंदर॥5
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
पंचमः सोपान | Descent 5th
श्री सुंदरकाण्ड | Shri Sunderkand
चौपाई :
सुनत बिहसि बोला दसकंधर।
अंग भंग करि पठइअ बंदर॥5॥
भावार्थ:
यह सुनते ही रावण हँसकर बोला- अच्छा तो, बंदर को अंग-भंग करके भेज (लौटा) दिया जाए॥5॥
English :
IAST :
Meaning :